सम्रग शिक्षा अभियान के अंतगर्त शैक्षिक भ्रमण का आयोजन
Year 2019-20
भ्रमण स्थल का नाम -
भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान रूड़की और पतंजलि औषधीय उद्यान
भ्रमण दिनांक - 01 फरवरी 2020
समय - प्रातः 8.30 बजे से सांय 5 बजे तक
भ्रमण दल प्रभारी - श्री आनन्द प्रकाश शर्मा
भ्रमण दल सदस्य - श्री जगपाल सिंह चैहान (प्रधानाचार्य), श्री सुनित कुमार, श्री प्रदीप नेगी, श्रीमती सताक्षी जोशी, श्रीमती नुसरत, श्रीमती अर्पणा, श्रीमती प्रमिला, श्री राजीव राठी, श्री फहीम खान, श्री नरेन्द्र और श्री मुकेश ।
भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान रूड़की और पतंजलि औषधीय उद्यान
भ्रमण दिनांक - 01 फरवरी 2020
समय - प्रातः 8.30 बजे से सांय 5 बजे तक
भ्रमण दल प्रभारी - श्री आनन्द प्रकाश शर्मा
भ्रमण दल सदस्य - श्री जगपाल सिंह चैहान (प्रधानाचार्य), श्री सुनित कुमार, श्री प्रदीप नेगी, श्रीमती सताक्षी जोशी, श्रीमती नुसरत, श्रीमती अर्पणा, श्रीमती प्रमिला, श्री राजीव राठी, श्री फहीम खान, श्री नरेन्द्र और श्री मुकेश ।
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भ्रमण स्थल का परिचय - भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रूड़की
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की भारत का एक सार्वजनिक इंजीनियरी विश्वविद्यालय है। यह उत्तराखण्ड राज्य के रुड़की में स्थित है। पहले इसका नाम 'रूड़की विश्वविद्यालय' तथा इससे भी पहले इसका नाम 'थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग' (Thomason College of Civil Engineering) था। इसकी स्थापना मूलतः 1847 में हुई थी। सन् 1949 में इसको विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया। सन् 2001में इसे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT Roorkee) के रूप में परिवर्तित कर दिया गया।
भारतीय प्राद्यौगिकी संस्थान रूडकी ने देश को जनशक्ति तथा ज्ञान उपलब्ध कराने तथा अनुसंधान कार्य करने मे प्रमुख भूमिका अदा की है। यह संस्थान विश्व के सर्वोत्तम प्रोद्यौगिकी संस्थानो मे अपना स्थान रखता है। इसने प्रोद्यौगिकी विकास के सभी क्षेत्रों में अपना योगदान दिया है। वस्तुकला एवं इंजीनियरिंग के 10 विषयों में स्नातक पाठ्यक्रम संचालित किये जा रहे है ; स्नातकोत्तर, प्रयुक्त विज्ञान व वस्तुकला तथा नियोजन विष्यों के 55 पाठ्यक्रमो की सुविधा उपलब्ध है। संस्थान के सभी विभागों व अनुसंधान केन्द्रों में शोधकार्य की भी सुविधाएं है। संस्थान में समस्त भारत के विभिन्न केन्द्रों पर आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जे.ई.ई.) के माध्यम से बी टेक. व बी. आर्क. पाठ्यक्रमों में छात्रों को प्रवेश दिया जाता है।
भारतीय प्राद्यौगिकी संस्थान रूडकी ने देश को जनशक्ति तथा ज्ञान उपलब्ध कराने तथा अनुसंधान कार्य करने मे प्रमुख भूमिका अदा की है। यह संस्थान विश्व के सर्वोत्तम प्रोद्यौगिकी संस्थानो मे अपना स्थान रखता है। इसने प्रोद्यौगिकी विकास के सभी क्षेत्रों में अपना योगदान दिया है। वस्तुकला एवं इंजीनियरिंग के 10 विषयों में स्नातक पाठ्यक्रम संचालित किये जा रहे है ; स्नातकोत्तर, प्रयुक्त विज्ञान व वस्तुकला तथा नियोजन विष्यों के 55 पाठ्यक्रमो की सुविधा उपलब्ध है। संस्थान के सभी विभागों व अनुसंधान केन्द्रों में शोधकार्य की भी सुविधाएं है। संस्थान में समस्त भारत के विभिन्न केन्द्रों पर आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जे.ई.ई.) के माध्यम से बी टेक. व बी. आर्क. पाठ्यक्रमों में छात्रों को प्रवेश दिया जाता है।
उसके बाद लगभग 12.00 बजे आई0आई0टी0 में पुस्तकालय का भ्रमण किया गया। जिसमें कई साल पुरानी दुर्लभ तथा नई पुस्तकों के रखरखाव व उनके बारे में जानकारी प्राप्त की और मुख्य इमारत के बाहर व अन्दर का नजार देखा। दिनांक 01 फरवरी 2020 को रा0इ0का0 भेल के कक्षा 9 तथा कक्षा 11 के 175 विद्यार्थियों ने शैक्षिक भ्रमण दल के शिक्षकों के साथ प्रातः 09.30 बजे आई0आई0टी0 रूड़की संस्थान और पंतजलि औषधीय उद्यान के लिए रवाना हुए। सर्वप्रथम शैक्षिक भ्र्रमण कार्यक्रम के अन्र्तगत आई0आई0टी0 रूड़की का भ्रमण किया। समय 10.30 बजे सब लोग तीन बसों के माध्यम से आई0आई0टी0 रूड़की पहुॅचे। आवश्यक औपचारिकतायें पूर्ण करने के पश्चात छात्र-छात्राओं की 9 टोलियाँ (20 छात्रों का समूह) बनाकर प्रत्येक टोली नायक नामित किया गया। टोली नायक को एक पैन और एक नोट बुक दी गयी। सर्वप्रथम छात्रों ने आई0आई0टी0 रूड़की में Tingling लैब का भ्रमण किया। आई0आई0टी0 लैब में छात्र-छात्राओं ने बहुत सी ज्ञानवर्धक बातें सीखी। वहाँ उपस्थित एक्सपर्ट ने 3D Printer, Maniacal tools, Automobile आदि की जानकारी दी तथा 3D Printer कैसे कार्य करता है उसका प्रर्दशन भी किया। इसके साथ उन्होेनें Tingling लैब के बारे में बताया की विद्यालय का काई भी छात्र इस लैब में प्रोजेक्ट कार्य कर सकता है।
उसके बाद लगभग 12.00 बजे आई0आई0टी0 में पुस्तकालय का भ्रमण किया गया। जिसमें कई साल पुरानी दुर्लभ तथा नई पुस्तकों के रखरखाव व उनके बारे में जानकारी प्राप्त की और मुख्य इमारत के बाहर व अन्दर का नजार देखा।
वहाॅ के प्रौ0 श्री आर0 के0 विश्वकर्मा जी0 ने पुस्तकालय के बारे में विस्तार से जानकारी दी और विद्यार्थियों की काउंसलिंग भी की। उन्होेेनें बताया की मेहनत करने से आप भी आई0आई0 में प्रवेश ले सकते हो और अपना भविष्य बना सकते हो। उन्होंनें विज्ञान तथा कला वर्ग के छात्र-छात्राओं को अलग-अलग जानकरी दी कि वे क्या-क्या डिप्लोमा या डिग्री लेकर किन क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकते है व अपने जीवन को सफल बना सकते है।
पुस्तकालय में जानकारी प्राप्त करने के बाद छात्र-छात्राओं ने मंनरोजन के रूप में अपने मोबाइल से आई0आई0टी0 परिसर के सुन्दर नजरों के फोटो तथा वीडियो लिए और इस यादगार पल को अविस्मरणीय बना दिया। बहुत सारे छात्रों ने इस यादगार पल की फोटो तथा वीडियो और महत्वपूण जानकारी को अपने साथियों के साथ साझा किया।
लगभग अप0 1.30 बजे के बाद छात्र-छात्राओं को आई0आई0टी0 रूड़की के परिसर में पंक्तिबद्ध बैठा कर मध्याह्यन भोजन कराया गया। जिसमें प्रत्येक विद्यार्थी को चार पूरी, आलू की सबजी, आचार के साथ-साथ एक Fruity भी दि गई। भोजन के उपरान्त 2.00 बजे दूसरे भ्रमण स्थल पतंजलि औषधीय उद्यान हरिद्वार के लिए प्रस्थान किया जो National Highway हरिद्वार से दिल्ली के मार्ग पर स्थित है।
उसके बाद लगभग 12.00 बजे आई0आई0टी0 में पुस्तकालय का भ्रमण किया गया। जिसमें कई साल पुरानी दुर्लभ तथा नई पुस्तकों के रखरखाव व उनके बारे में जानकारी प्राप्त की और मुख्य इमारत के बाहर व अन्दर का नजार देखा।
वहाॅ के प्रौ0 श्री आर0 के0 विश्वकर्मा जी0 ने पुस्तकालय के बारे में विस्तार से जानकारी दी और विद्यार्थियों की काउंसलिंग भी की। उन्होेेनें बताया की मेहनत करने से आप भी आई0आई0 में प्रवेश ले सकते हो और अपना भविष्य बना सकते हो। उन्होंनें विज्ञान तथा कला वर्ग के छात्र-छात्राओं को अलग-अलग जानकरी दी कि वे क्या-क्या डिप्लोमा या डिग्री लेकर किन क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर सकते है व अपने जीवन को सफल बना सकते है।
पुस्तकालय में जानकारी प्राप्त करने के बाद छात्र-छात्राओं ने मंनरोजन के रूप में अपने मोबाइल से आई0आई0टी0 परिसर के सुन्दर नजरों के फोटो तथा वीडियो लिए और इस यादगार पल को अविस्मरणीय बना दिया। बहुत सारे छात्रों ने इस यादगार पल की फोटो तथा वीडियो और महत्वपूण जानकारी को अपने साथियों के साथ साझा किया।
लगभग अप0 1.30 बजे के बाद छात्र-छात्राओं को आई0आई0टी0 रूड़की के परिसर में पंक्तिबद्ध बैठा कर मध्याह्यन भोजन कराया गया। जिसमें प्रत्येक विद्यार्थी को चार पूरी, आलू की सबजी, आचार के साथ-साथ एक Fruity भी दि गई। भोजन के उपरान्त 2.00 बजे दूसरे भ्रमण स्थल पतंजलि औषधीय उद्यान हरिद्वार के लिए प्रस्थान किया जो National Highway हरिद्वार से दिल्ली के मार्ग पर स्थित है।
भ्रमण स्थल का परिचय - पतंजलि औषधीय उद्यान हरिद्वार
पतंजलि अनुसंधान केंद्र औषधियों पौधों का खजाना है। उद्यान में 900 से अधिक जड़ी-बूटी, फलों के वृक्ष समेत जलीय एवं सजावटी पौधे आकर्षण का केंद्र हैं। इन औषधीय पौधों पर बोर्ड के माध्यम से उसकी महत्ता एवं कौन सी बीमारी में इसका लाभ होगा, इस बारे में अंग्रेजी और हिंदी में जानकारी दी गई है।
योगगुरु बाबा रामदेव ने बताया कि युवाओं को आयुर्वेद की जानकारी देने और सामान्य रूप से उपलब्ध औषधीय पौधों के संरक्षण के लिए पतंजलि औषधीय उद्यान को स्थापित किया गया है। उद्यान में वर्तमान में लगभग 300 जड़ी-बूटी के पौधे, 50 आरोही लता, 25 जलीय पौधे और 350 वृक्षों की प्रजातियां उपलब्ध हैं। बड़ी संख्या में संग्रहित औषधीय, सुगंधित तथा सजावटी पौधों पर अनुसंधान की संभावनाओं को तलाशने और वैज्ञानिकों के साथ-साथ साधारण जनसमूह के हित के लिए पतंजलि औषधीय उद्यान बनाया गया है।
पतंजलि औषधीय उद्यान की मुख्य विशेषताएं -
उद्यान परिसर में पांच कृत्रिम गुफाएं हैं, जो ब्रायोपफाइट, टेरिडोपफाइट और ऑर्किड पौधों के विकास के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं। कुछ गुफाएं सुंदर मूर्तियों के माध्यम से आयुर्वेद के आधारभूत ज्ञान को प्रदर्शित करती हैं। जैसे-किस प्रकार से हमारे पूर्वज आयुर्वेदिक औषधियां जैसे-चूर्ण, बटी, आसव एवं भस्म आदि तैयार करते थे। योग आसन, प्राणायाम और विभिन्न योग मुद्राएं भी इसी प्रकार की मूर्तियों के माध्यम से प्रदर्शित की गई हैं। यहां पर एक बहुत सुंदर नवग्रह वाटिका भी है, जो नौ ग्रहों के लिए संबंधित पौधे जैसे-अपामार्ग, एकाइरेन्थस एस्पेरा बुध ग्रह के लिए, गूलर, पफाइकस रैसीमोसाद्ध शुक्र ग्रह के लिए, पलाश, ब्यूटिआ मोनोस्र्पमाद्ध चंद्रमा के लिए, पीपल, पफाइकस, रेलिजिओसाद्ध गुरु या बृहस्पति ग्रह के लिए, खदिर, ऐकेसिया कटेचूद्ध मंगल ग्रह के लिए, आक, मदारद्ध, कैलोट्रोपिस जाइगैन्टिया सूर्य ग्रह के लिए, कुश, डेस्मोस्टैक्यि ग्रह के लिए, शमी, प्रोसोपिस सिनेरियाद्ध शनि ग्रह के लिए और दूर्वा, सायनोडॉन डैक्टाइलान राहु ग्रह के लिए है।
यहां पर सात कृत्रिम फव्वारे तथा एक सुंदर जलाशय भी स्थित है, जो जलीय पौधे जैसे-ट्रापा नेटेन्स, सिंघाडाद्ध, निम्पिफया, कमलद्ध, नीलम्बो न्यूसिफेरा, निम्पफोइडीज इण्डिका, तगरद्ध, सिरैटोपिफलम डेमेरसम, पिस्टिया स्ट्रैटिआइटीज, टाइफा अंगुस्टिफोलिया आदि के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करता है। विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों के लिए एक बड़ा पक्षीघर तथा छोटे-छोटे तालाब तथा झरने के चारों ओर दुर्लभ प्रजातियों के पौधे हैं, जो पक्षियों के लिए प्राकृतिक वातावरण प्रदान करते हैं।
योगगुरु बाबा रामदेव ने बताया कि युवाओं को आयुर्वेद की जानकारी देने और सामान्य रूप से उपलब्ध औषधीय पौधों के संरक्षण के लिए पतंजलि औषधीय उद्यान को स्थापित किया गया है। उद्यान में वर्तमान में लगभग 300 जड़ी-बूटी के पौधे, 50 आरोही लता, 25 जलीय पौधे और 350 वृक्षों की प्रजातियां उपलब्ध हैं। बड़ी संख्या में संग्रहित औषधीय, सुगंधित तथा सजावटी पौधों पर अनुसंधान की संभावनाओं को तलाशने और वैज्ञानिकों के साथ-साथ साधारण जनसमूह के हित के लिए पतंजलि औषधीय उद्यान बनाया गया है।
पतंजलि औषधीय उद्यान की मुख्य विशेषताएं -
उद्यान परिसर में पांच कृत्रिम गुफाएं हैं, जो ब्रायोपफाइट, टेरिडोपफाइट और ऑर्किड पौधों के विकास के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं। कुछ गुफाएं सुंदर मूर्तियों के माध्यम से आयुर्वेद के आधारभूत ज्ञान को प्रदर्शित करती हैं। जैसे-किस प्रकार से हमारे पूर्वज आयुर्वेदिक औषधियां जैसे-चूर्ण, बटी, आसव एवं भस्म आदि तैयार करते थे। योग आसन, प्राणायाम और विभिन्न योग मुद्राएं भी इसी प्रकार की मूर्तियों के माध्यम से प्रदर्शित की गई हैं। यहां पर एक बहुत सुंदर नवग्रह वाटिका भी है, जो नौ ग्रहों के लिए संबंधित पौधे जैसे-अपामार्ग, एकाइरेन्थस एस्पेरा बुध ग्रह के लिए, गूलर, पफाइकस रैसीमोसाद्ध शुक्र ग्रह के लिए, पलाश, ब्यूटिआ मोनोस्र्पमाद्ध चंद्रमा के लिए, पीपल, पफाइकस, रेलिजिओसाद्ध गुरु या बृहस्पति ग्रह के लिए, खदिर, ऐकेसिया कटेचूद्ध मंगल ग्रह के लिए, आक, मदारद्ध, कैलोट्रोपिस जाइगैन्टिया सूर्य ग्रह के लिए, कुश, डेस्मोस्टैक्यि ग्रह के लिए, शमी, प्रोसोपिस सिनेरियाद्ध शनि ग्रह के लिए और दूर्वा, सायनोडॉन डैक्टाइलान राहु ग्रह के लिए है।
यहां पर सात कृत्रिम फव्वारे तथा एक सुंदर जलाशय भी स्थित है, जो जलीय पौधे जैसे-ट्रापा नेटेन्स, सिंघाडाद्ध, निम्पिफया, कमलद्ध, नीलम्बो न्यूसिफेरा, निम्पफोइडीज इण्डिका, तगरद्ध, सिरैटोपिफलम डेमेरसम, पिस्टिया स्ट्रैटिआइटीज, टाइफा अंगुस्टिफोलिया आदि के लिए अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करता है। विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों के लिए एक बड़ा पक्षीघर तथा छोटे-छोटे तालाब तथा झरने के चारों ओर दुर्लभ प्रजातियों के पौधे हैं, जो पक्षियों के लिए प्राकृतिक वातावरण प्रदान करते हैं।
पतंजलि औषधीय उद्यान में छात्र-छात्राओं नें टोलीयों में विभाजित हो कर औषधीय उद्यान का भ्रमण किया और उद्यान में विभिन्न प्रकार के औषधियों पौधों, जडी-बूटी, फलों के वृक्ष आदि के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की। संस्थान के विशेषज्ञों ने प्रत्येक औषधीय पौधों पर बोर्ड के माध्यम से उसकी महत्व एवं कौन सी बीमारी में इसका लाभ होगा की जानकारी अंकित की है।
तत्पश्चात छात्र-छात्राओं ने उद्यान परिसर में कृत्रिम गुफएं का भ्रमण किया। ये गुफाएं सुन्दर मूर्तियों के माध्यम से आयुर्वेद के आधारभूत ज्ञान को प्रदर्शित करती है। योग आसन, प्राणायाम और विभिनन योग मुद्राएं भी इस प्रकार की मूर्तियों के माध्यम से प्रदर्शित की गई है। छात्र-छात्राओं को मिटठी से बने अद्भुत नमूने एवं माॅडल बहुत पसन्द आये।
उसके बाद छात्र-छात्राओं ने कृत्रिम फव्वारे तथा एक सुंदर जलाशय का आनन्द लिए। इसके साथ विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों के लिए एक बड़ा पक्षीधर तथा छोटे-छोटे तालाब तथा झरने के चारों और दुर्लभ प्रजातियों के पौधें, जो पक्षियों के लिए प्राकृतिक वातावरण प्रदान करते का प्रत्येक्ष अवलोकन किया।
विद्यार्थियों ने बहुत अनुशासित तरीके से समस्त जानकारी को अपने नोटबुक में लेखबद्ध किया। इसके बाद प्रतिभागी छात्र-छात्रओं को भ्रमण के सम्बन्ध में एक प्रोजेक्ट फाईल तैयार करनी है और भ्रमण के दौरान प्राप्त ज्ञान और अनुभव को अन्य छात्रों तथा शिक्षकों के साथ साझा करना है।
तत्पश्चात छात्र-छात्राओं ने उद्यान परिसर में कृत्रिम गुफएं का भ्रमण किया। ये गुफाएं सुन्दर मूर्तियों के माध्यम से आयुर्वेद के आधारभूत ज्ञान को प्रदर्शित करती है। योग आसन, प्राणायाम और विभिनन योग मुद्राएं भी इस प्रकार की मूर्तियों के माध्यम से प्रदर्शित की गई है। छात्र-छात्राओं को मिटठी से बने अद्भुत नमूने एवं माॅडल बहुत पसन्द आये।
उसके बाद छात्र-छात्राओं ने कृत्रिम फव्वारे तथा एक सुंदर जलाशय का आनन्द लिए। इसके साथ विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों के लिए एक बड़ा पक्षीधर तथा छोटे-छोटे तालाब तथा झरने के चारों और दुर्लभ प्रजातियों के पौधें, जो पक्षियों के लिए प्राकृतिक वातावरण प्रदान करते का प्रत्येक्ष अवलोकन किया।
विद्यार्थियों ने बहुत अनुशासित तरीके से समस्त जानकारी को अपने नोटबुक में लेखबद्ध किया। इसके बाद प्रतिभागी छात्र-छात्रओं को भ्रमण के सम्बन्ध में एक प्रोजेक्ट फाईल तैयार करनी है और भ्रमण के दौरान प्राप्त ज्ञान और अनुभव को अन्य छात्रों तथा शिक्षकों के साथ साझा करना है।
शैक्षिक भ्रमण दल के सदस्य
श्री जगपाल सिंह चैहान (प्रधानाचार्य) श्री आनन्द प्रकाश शर्मा प्रवक्ता (भ्रमण दल प्रभारी) श्री सुनित कुमार प्रवक्ता (भ्रमण दल सहयोगी) श्री प्रदीप नेगी प्रवक्ता (भ्रमण दल सहयोगी) श्रीमती सताक्षी जोशी प्रवक्ता (भ्रमण दल सहयोगी) श्रीमती नुसरत प्रवक्ता (भ्रमण दल सहयोगी) श्रीमती अपर्णा प्रवक्ता (भ्रमण दल सहयोगी) श्रीमती प्रमिला प्रवक्ता (भ्रमण दल सहयोगी) श्री राजीव स0अ0 (भ्रमण दल सहयोगी) श्री फहीम खान स0अ0(भ्रमण दल सहयोगी) श्री नरेन्द्र कुमार स0अ0(भ्रमण दल सहयोगी) श्री मुकेश स0अ0(भ्रमण दल सहयोगी) |
संग्लकत्र्ता - श्री प्रदीप नेगी
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Year 2018-19
Year 2018-19
सम्रग शिक्षा अभियान के अंतगर्त शैक्षिक भ्रमण का आयोजन
शैक्षिक भ्रमण आख्या
विद्यालय का नाम - राजकीय इण्टर कॉलेज भेल हरिद्वार
भ्रमण स्थल का नाम - राज्य विज्ञान धाम, देहरादून उत्तराखण्ड
भ्रमण दिनांक - 02 फरवरी 2019
समय - प्रातः 9.00 बजे से सांय 4 बजे तक
भ्रमण दल सहयोग तथा मार्गदर्शन - श्री जगपाल सिंह चौहान (प्रधानाचार्य)
भ्रमण दल प्रभारी - श्री सुनित कुमार
भ्रमण दल सदस्य - श्री आनन्द प्रकाश शर्मा, श्री प्रदीप नेगी, श्रीमती नुसरत बेगम, श्रीमती अन्जु सैनी, श्री फहीम खान और श्री मुकेश कुमार।
विद्यालय का नाम - राजकीय इण्टर कॉलेज भेल हरिद्वार
भ्रमण स्थल का नाम - राज्य विज्ञान धाम, देहरादून उत्तराखण्ड
भ्रमण दिनांक - 02 फरवरी 2019
समय - प्रातः 9.00 बजे से सांय 4 बजे तक
भ्रमण दल सहयोग तथा मार्गदर्शन - श्री जगपाल सिंह चौहान (प्रधानाचार्य)
भ्रमण दल प्रभारी - श्री सुनित कुमार
भ्रमण दल सदस्य - श्री आनन्द प्रकाश शर्मा, श्री प्रदीप नेगी, श्रीमती नुसरत बेगम, श्रीमती अन्जु सैनी, श्री फहीम खान और श्री मुकेश कुमार।
विज्ञान केंद्र Regional Science Center Dehradun उत्तराखंड काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (UCOST) के परिसर में देहरादून के बाहरी इलाके में स्थित विज्ञान धाम, सुधूवाला में स्थित है। विज्ञान धाम देहरादून से 12 कि0 की दूरी में पर देहरादून-चकराता मोटर मार्ग पर सुधूवाला क्षेत्र में स्थित है। विज्ञान धाम को (UCOST) के सहयोग से नेशनल काउंसिल फॉर साइंस म्यूजियम को (NCSM) द्वारा विकसित किया गया है। क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र स्कूल शैक्षिक भ्रमण के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य है।
विशेषताऐं-
विज्ञान धाम एक बहु-अनुशासनात्मक प्रयोगशाला है जो उपकरणों और वैज्ञानिक उपकरणों के मध्यम सेट से सुसज्जित है। यह सुविधा युवा दिमाग द्वारा रचनात्मकता और नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए स्थापित की गई है। यह न केवल विज्ञान केंद्र के अधिक प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित करेगा, बल्कि समस्या के समाधान और परियोजना आधारित शिक्षण को बढ़ावा देने में इसके उपयोग और भूमिका को फिर से परिभाषित करेगा। यह सुविधा छात्रों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की प्रक्रिया में हाथों-हाथ / व्यावहारिक शिक्षण और सहभागिता प्रदान करती है। इनोवेशन हब स्कूल के छात्रों के नवीन विचारों को संसाधन और तकनीकी इनपुट प्रदान करता है।
विशेषताऐं-
विज्ञान धाम एक बहु-अनुशासनात्मक प्रयोगशाला है जो उपकरणों और वैज्ञानिक उपकरणों के मध्यम सेट से सुसज्जित है। यह सुविधा युवा दिमाग द्वारा रचनात्मकता और नवाचारों को बढ़ावा देने के लिए स्थापित की गई है। यह न केवल विज्ञान केंद्र के अधिक प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित करेगा, बल्कि समस्या के समाधान और परियोजना आधारित शिक्षण को बढ़ावा देने में इसके उपयोग और भूमिका को फिर से परिभाषित करेगा। यह सुविधा छात्रों को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की प्रक्रिया में हाथों-हाथ / व्यावहारिक शिक्षण और सहभागिता प्रदान करती है। इनोवेशन हब स्कूल के छात्रों के नवीन विचारों को संसाधन और तकनीकी इनपुट प्रदान करता है।
दिनांक 02 फरवरी 2019 को राजकीय इण्टर भेल के कक्षा 11 और 9 के 145 विद्यार्थियों ने भ्रमण दल के शिक्षकों के साथ प्रातः 09.00 बजे बस के माध्यम से विद्यालय से विज्ञान धाम संस्थान, देहरादून के लिए रवाना हुए।
समय 11.00 बजे सब लोग विज्ञान धाम संस्थान पहुॅचे। आवश्यक औपचारिकतायें पूर्ण करने के पश्चात छात्र-छात्राओं की 3 टोलियाँ (45 छात्रों का समूह) बनाकर प्रत्येक टोली नायक नामित किया गया। टोली नायक को एक पैन और एक नोट बुक दी गयी और विज्ञान धाम में विज्ञान से सम्बधित जानकारी आदि नोट करने हेतु कहा गया। छात्र-छात्राओं से प्राप्त जानकारी से ज्ञात हुआ कि उन्होनें बहुत सी ज्ञानवर्धक बातें सीखी।
लगभग 12.00 बजे टिकट के आधार पर छात्र-छात्राओं ने सबसे पहले साइंस पार्क में डायनासोर पार्क का भ्रमण किया। जिसमें छात्र-छात्राओं ने डायनासोर के विभिन्न मॉडल देखे और जानकारी प्राप्त की। उसके बाद छात्रों नें तीन टोलियों ने अलग-अलग जाकर विज्ञान धाम के अन्दर का भ्रमण किया।
छात्र-छात्राओं ने तारामंडल, फन साइंस गैलरी, ऑफ टेक्नोलॉजी गैलरी, इनोवेशन हब, 3डी थियेटर, ऑडिटोरियम, एग्जीबिशन हॉल, परमाणु ऊर्जा उत्पादन में नई प्रवृति, क्लाउड कंप्यूटिंग, रोबोटिक्स और कार्बन नैनो-टयूब, हिमालय गैलरी तथा पवित्र अमरनाथ गुफा की प्रतिकृति आदि का भ्रमण किया। वहाँ उपस्थित विज्ञान के विशेषज्ञों ने विज्ञान से सम्बन्धित जानकारी को प्रयोग आदि के माध्यम से दी।
समय 11.00 बजे सब लोग विज्ञान धाम संस्थान पहुॅचे। आवश्यक औपचारिकतायें पूर्ण करने के पश्चात छात्र-छात्राओं की 3 टोलियाँ (45 छात्रों का समूह) बनाकर प्रत्येक टोली नायक नामित किया गया। टोली नायक को एक पैन और एक नोट बुक दी गयी और विज्ञान धाम में विज्ञान से सम्बधित जानकारी आदि नोट करने हेतु कहा गया। छात्र-छात्राओं से प्राप्त जानकारी से ज्ञात हुआ कि उन्होनें बहुत सी ज्ञानवर्धक बातें सीखी।
लगभग 12.00 बजे टिकट के आधार पर छात्र-छात्राओं ने सबसे पहले साइंस पार्क में डायनासोर पार्क का भ्रमण किया। जिसमें छात्र-छात्राओं ने डायनासोर के विभिन्न मॉडल देखे और जानकारी प्राप्त की। उसके बाद छात्रों नें तीन टोलियों ने अलग-अलग जाकर विज्ञान धाम के अन्दर का भ्रमण किया।
छात्र-छात्राओं ने तारामंडल, फन साइंस गैलरी, ऑफ टेक्नोलॉजी गैलरी, इनोवेशन हब, 3डी थियेटर, ऑडिटोरियम, एग्जीबिशन हॉल, परमाणु ऊर्जा उत्पादन में नई प्रवृति, क्लाउड कंप्यूटिंग, रोबोटिक्स और कार्बन नैनो-टयूब, हिमालय गैलरी तथा पवित्र अमरनाथ गुफा की प्रतिकृति आदि का भ्रमण किया। वहाँ उपस्थित विज्ञान के विशेषज्ञों ने विज्ञान से सम्बन्धित जानकारी को प्रयोग आदि के माध्यम से दी।
यह शैक्षिक भ्रमण छात्र-छात्राओं के लिए बहुत उपयोगी रहा। शैक्षिक भ्रमण के दौरान कई विषयों पर महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की। विद्यार्थियों ने बहुत अनुशसित तरिके से सारी जानकारी को अपने कोपी में नोट किया। अब वे इस विषय पर एक प्रोजेक्ट फाईल तैयार करेगें और भ्रमण के दौरान अपने अनुभव को भी लिखेंगे।
शैक्षिक भ्रमण दल के सदस्य
1. श्री जगपाल सिंह चौहान ( सहयोग तथा मार्गदर्शन )
2. श्री सुनित कुमार (भ्रमण दल प्रभारी)
3. श्री आनन्द प्रकाश शर्मा, प्रवक्ता (भ्रमण दल सहयोगी)
4. श्री प्रदीप नेगी प्रवक्ता (भ्रमण दल सहयोगी)
5. श्रीमती नुसरत बेगम प्रवक्ता (भ्रमण दल सहयोगी)
6. श्रीमती अन्जु सैनी प्रवक्ता (भ्रमण दल सहयोगी)
7. श्री फहीम खान, स0अ0 (भ्रमण दल सहयोगी)
8. श्री मुकेश कुमार, स0अ0 (भ्रमण दल सहयोगी)
शैक्षिक भ्रमण दल के सदस्य
1. श्री जगपाल सिंह चौहान ( सहयोग तथा मार्गदर्शन )
2. श्री सुनित कुमार (भ्रमण दल प्रभारी)
3. श्री आनन्द प्रकाश शर्मा, प्रवक्ता (भ्रमण दल सहयोगी)
4. श्री प्रदीप नेगी प्रवक्ता (भ्रमण दल सहयोगी)
5. श्रीमती नुसरत बेगम प्रवक्ता (भ्रमण दल सहयोगी)
6. श्रीमती अन्जु सैनी प्रवक्ता (भ्रमण दल सहयोगी)
7. श्री फहीम खान, स0अ0 (भ्रमण दल सहयोगी)
8. श्री मुकेश कुमार, स0अ0 (भ्रमण दल सहयोगी)
Year 2017-18
Year 2017-18
राष्ट्रीय माध्मिक शिक्षा अभियान के अंतगर्त शैक्षिक भ्रमण का आयोजन
शैक्षिक भ्रमण आख्या
भ्रमण स्थल का नाम - भारतीय वानिकी संस्थान, देहरादून उत्तराखण्ड
भ्रमण दिनांक - 20 फरवरी 2017
समय - प्रातः 8.30 बजे से सांय 4 बजे तक
भ्रमण दल प्रभारी - श्री शिवराम सिंह
भ्रमण दल सदस्य - श्री राजीव राठी, श्री प्रदीप नेगी और श्रीमती सताक्षी जोशी
भ्रमण स्थल का नाम - भारतीय वानिकी संस्थान, देहरादून उत्तराखण्ड
भ्रमण दिनांक - 20 फरवरी 2017
समय - प्रातः 8.30 बजे से सांय 4 बजे तक
भ्रमण दल प्रभारी - श्री शिवराम सिंह
भ्रमण दल सदस्य - श्री राजीव राठी, श्री प्रदीप नेगी और श्रीमती सताक्षी जोशी
वन अनुसंधान संस्थान देहरादून
वन अनुसंधान संस्थान उत्तराखण्ड के देहरादून में स्थित है। यह संस्थान देहरादून में घंटाघर से लगभग सात किलोमीटर की दूरी पर देहरादून-चकराता मोटर मार्ग पर स्थित भारतीय वन अनुसंधान संस्थान का सबसे बड़ा वन आधारित प्रशिक्षण संस्थान है। भारत के अधिकांश वन अधिकारी इसी संस्थान से आते हैं। वन अनुसंधान संस्थान का भवन बहुत ही शानदार है। इसके साथ ही इसमें एक संग्रहालय भी है। यह अनुसंधान संस्थान विश्व के बेहतरीन वन्य अनुसंधान केंद्रों में से एक है।
स्थापना
वन अनुसंधान संस्थान जो पूर्व में इपिरियल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के नाम से जाना जाता था की स्थापना देश में वानिकी अनुसंधान क्रियाकलापों को आयोजित करने तथा आगे बढ़ाने के लिए 1906 को हुई थी। संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त है तथा वर्तमान में वानिकी में पी.एच.डी. डिग्री देने के अतिरिक्त एम.एस.सी. डिग्री करने के लिए अग्रणी तीन कोर्स तथा दो स्नातकोत्तर डिप्लोमा कोर्स प्रदान करता है। १९९१ में इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा डीम्ड विश्वविद्यालय घोषित कर दिया गया। भारतीय वानिकी संस्थान 450 ह० क्षेत्रफल में फैला हुआ है और बाहरी हिमालय की निकटता में है।
इस संग्रहालय में छः अनुभाग हैं:
स्थापना
वन अनुसंधान संस्थान जो पूर्व में इपिरियल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के नाम से जाना जाता था की स्थापना देश में वानिकी अनुसंधान क्रियाकलापों को आयोजित करने तथा आगे बढ़ाने के लिए 1906 को हुई थी। संस्थान को विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त है तथा वर्तमान में वानिकी में पी.एच.डी. डिग्री देने के अतिरिक्त एम.एस.सी. डिग्री करने के लिए अग्रणी तीन कोर्स तथा दो स्नातकोत्तर डिप्लोमा कोर्स प्रदान करता है। १९९१ में इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा डीम्ड विश्वविद्यालय घोषित कर दिया गया। भारतीय वानिकी संस्थान 450 ह० क्षेत्रफल में फैला हुआ है और बाहरी हिमालय की निकटता में है।
इस संग्रहालय में छः अनुभाग हैं:
- पैथोलॉजी संग्रहालय
- सामाजिक वानिकी संग्रहालय
- वन-वर्धन संग्रहालय
- लकड़ी संग्रहालय
- अकाष्ठ वन उत्पाद संग्रहालय
- कीटविज्ञान संग्रहालय
दिनांक 20 फरवरी 2017 को राजकीय इण्टर भेल के कक्षा 9 के 50 विद्यार्थियों ने भ्रमण दल के शिक्षकों के साथ प्रातः 09.30 बजे बस के माध्यम से विद्यालय से वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून के लिए रवाना हुए।
समय 11.30 बजे सब लोग वन अनुसंधान केन्द्र पहुचे। आवश्यक औपचारिकतायें पूर्ण करने के पश्चात छात्र-छात्राओं की 5 टोलियाँ (10 छात्रों का समूह) बनाकर प्रत्येक टोली नायक नामित किया गया। टोली नायक को एक पैन और एक नोट बुक दी गयी और अद्भुत वन कीट एवं वनधरातल सहित वृक्षों से सम्बधित जानकारी नोट करने हेतु कहा गया। छात्रों से प्राप्त जानकारी से ज्ञात हुआ कि उन्होनें बहुत सी ज्ञानवर्धक बातें सीखी।
लगभग 12.00 बजे टिकट के आधार पर छात्र-छात्राओं ने कक्ष स0-01 में पैथोलाजी संग्रहालय का भ्रमण किया जिसमें वनों से प्राप्त लकड़ीयों को विभिन्न प्रकार से संरक्षण करने के माॅडल देखे और जानकारी प्राप्त की।
छात्रों द्वारा एक्सपर्ट से निम्न प्रश्न पूछे गये।
प्र01. भारतीय वानिकी संस्थान की स्थापन क्यों की गई ?
उ0- भारतीय वानिकी संस्थान की स्थापन भारत में वनों से सम्बन्धित अनुसंधान करना और वन अधिकारीयों को प्रशिक्षण देना है।
छात्रों द्वारा एक्सपर्ट से निम्न प्रश्न पूछे गये।
प्र01. भारतीय वानिकी संस्थान की स्थापन क्यों की गई ?
उ0- भारतीय वानिकी संस्थान की स्थापन भारत में वनों से सम्बन्धित अनुसंधान करना और वन अधिकारीयों को प्रशिक्षण देना है।
उसके बाद छात्रों नें कक्ष स0-02 वानिकी संग्रहालय का भ्रमण किया। इस संग्रहालय में वनों से सम्बधित समाग्री रखी गई है। छात्रों ने संसार में व्याप्त भिन्न प्रकार के धरातल पर उगनेवाले वृक्षों, पौधों और प्राकृतिक आकृतियों की झलक देखने को मिली। संस्थान के विशेषज्ञों ने अधिकांश विचित्र वृक्षों एवं पृथ्वी की सतहों के बारे में छात्रों को जानकारी दी।
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टोली के नायकों ने अपनी - अपनी नोटबुक में जानकारी नोट की। संग्रहालय में ऐसी भी वन सम्पदा देखने को मिली जो अब संसार के कई भागों से विलुप्त हो रही है और उसके संरक्षण में वन अनुसंधान संस्थान रचनात्मक कार्य कर रहा है।
छात्रों द्वारा एक्सपर्ट से निम्न प्रश्न पूछे गये।
प्र02 पथरीली जमीन में लम्बे और ऊँचे चीड़ के पेड़ कैसे खडे़ रहते है ?
उ0-पथरीली जमीन में चीड़ के वृक्षों की जड़े गहरी धरती के अन्दर जाती है और पथरों के चारों और फैल जाती है तथा मिटटी को पकड़े रहती ।
छात्रों द्वारा एक्सपर्ट से निम्न प्रश्न पूछे गये।
प्र02 पथरीली जमीन में लम्बे और ऊँचे चीड़ के पेड़ कैसे खडे़ रहते है ?
उ0-पथरीली जमीन में चीड़ के वृक्षों की जड़े गहरी धरती के अन्दर जाती है और पथरों के चारों और फैल जाती है तथा मिटटी को पकड़े रहती ।
तत्पश्चात छात्र-छात्राओं को विशेषज्ञों ने कक्ष स0-03 लकड़ी संग्रहालय में प्रवेश कराया। इस संग्रहालय में लकड़ी से बने हुए आकर्षक एवं उपयोगी सामान देखने को मिले। वन में उगने वाली प्रत्येक वनस्पति के महत्व और उपयोग की जानकारी भी छात्रों को मिली। कुछ सामग्री हस्तनिर्मित थी जिसको देखकर ज्ञात हुआ कि वनस्पति अपने आप में कुबेर समेटे हुई है। छात्र-छात्राओं को काष्ठ से बने अद्भुत नमूने एवं माॅडल बहुत पसन्द आये।
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इसके बाद छात्रों ने कक्ष स0-04 कीटविज्ञान संग्रहालय का भ्रमण किया । वहाँ उपस्थित एक्सपर्ट ने वनकीटों की पहचान बता कर संसार के उन भागों की भी जानकारी दी जहाँ अमुक कीट पाये जाते है। कीटों एवं वन्य सूक्षम जीवों से होने वाले लाभ एवं हानियाँ आदि की जानकारी दी। धरातल के ऊपर तथा नीचे रहने वाले कीटों जैसे दीमक और चीटियों द्वारा भूसतह के रूप को परिवर्तित करने के माॅडल/नमूने दिखाये गये।
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अप0 2.15 बजे भोजनोपरान्त छात्रों को कक्ष स0-05 में अकाष्ठ वन उत्पाद संग्रहालय में प्रवेश कराया गया। जहाँ पर वनों से प्राप्त होने वाले बहुमूल्य जड़ी-बूटियाँ देखने को मिली। एक्सपर्ट ने उन जड़ी-बूटियाँ के उपयोग एवं उगने के स्थानों आदि के बारे में बारीकी से जानकारी दी।
छात्रों द्वारा एक्सपर्ट से निम्न प्रश्न पूछे गये। प्र03 क्या वनों में पाये जाने वाले सभी कीट जहरीले होते है ? उ0-अधिकांश कीट जहरीले होते है। प्र04 बहुमूल्य जड़ी-बूटियाँ कहाँ पाई जाती है ? उ0-धने जगलों में पाई जाती है। प्र05 जड़ी-बूटियाँ किस काम आती है ? उ0-भंयकर से भंयकर असाध्य रोगों के निदान में जड़ी-बूटियाँ बहुत कारगर सिद्ध होती है। |
अन्त में वन अनुसंधान संस्थान की एक पिक्चर गैलरी देखकर, संस्थान से भ्रमणदल की वापसी सांय 4 शुरू हुई और सांय 6 बजे तक अपने विद्यालय राजकीय इण्टर कालेज भेल में पहँुच गये। यह शैक्षिक भ्रमण छात्र-छात्राओं के लिए बहुत उपयोगी रहा। उन्होंनें सर्वप्रथम जिले से बाहर कोई महत्वपूर्ण स्थान देखा और भ्रमण के दौरान कई विषयों पर महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की। विद्यार्थियों ने बहुत अनुशासित तरीके से समस्त जानकारी को अपने नोटबुक में लेखबद्ध किया। इसके बाद प्रतिभागी छात्र-छात्रओं को भ्रमण के सम्बन्ध में एक प्रोजेक्ट फाईल तैयार करनी है और भ्रमण के दौरान प्राप्त ज्ञान और अनुभव को अन्य छात्रों तथा शिक्षकों के साथ साझा करना है।
आख्या प्रस्तुतकत्र्ता
शैक्षिक भ्रमण दल के सदस्य
1. श्री शिवराम सिंह स0अ0 एल0टी0 (भ्रमण दल प्रभारी)
2. श्री राजीव कुमार स0अ0 एल0टी0 (भ्रमण दल सहयोगी)
3. श्री प्रदीप नेगी प्रवक्ता (भ्रमण दल सहयोगी)
4. श्रीमती सताक्षी जोशी प्रवक्ता (भ्रमण दल सहयोगी)
आख्या प्रस्तुतकत्र्ता
शैक्षिक भ्रमण दल के सदस्य
1. श्री शिवराम सिंह स0अ0 एल0टी0 (भ्रमण दल प्रभारी)
2. श्री राजीव कुमार स0अ0 एल0टी0 (भ्रमण दल सहयोगी)
3. श्री प्रदीप नेगी प्रवक्ता (भ्रमण दल सहयोगी)
4. श्रीमती सताक्षी जोशी प्रवक्ता (भ्रमण दल सहयोगी)
Year - 2016
Year - 2016
राष्ट्रीय माध्मिक शिक्षा अभियान के अंतगर्त शैक्षिक भ्रमण का आयोजन |
भ्रमण स्थर का नाभ – नेशनल साइंस सेंटर, न्यू डेल्ही, लाल किला और इंडिया गेट|
भ्रमण का दिनाक - २९/११/२०१६
समय - सुफह ६ बजे से श्याम ४ बजे
भ्रमण दल प्रभारी – डा० संतोष चमोला ( डी0 आर0 पी0 हरिद्वार )
भ्रमण दर सदस्य – सताक्षी जोशी ( प्रवक्ता – भौतिकी विज्ञान )
भ्रमण का दिनाक - २९/११/२०१६
समय - सुफह ६ बजे से श्याम ४ बजे
भ्रमण दल प्रभारी – डा० संतोष चमोला ( डी0 आर0 पी0 हरिद्वार )
भ्रमण दर सदस्य – सताक्षी जोशी ( प्रवक्ता – भौतिकी विज्ञान )
RED FORT
राजकीय इंटर कॉलेज रानीपुर हरिद्वार के कक्षा १० के विद्यार्थियों दिनांक २८ नवम्बर २०१६ को स्कूल दिन में ३ बजे एकत्रित हुए | सभी विद्यार्थी डा० संतोष चमोला एवं श्रीमती सताक्षी जोशी के साथ हरिद्वार बस अड्डे पहुचे तथा वंहा से देहरादून आई एस बी टी के लिए रवाना हुए | सभी लोग पांच बजे देहरादून बस अड्डे पहुचे जहां गढ़वाल मंडल के सभी जिले (रुद्रप्राग,पौड़ी,चमोली,उत्तरकाशी,देहरादून एवं टिहरी) की टीम से हरिद्वार जिले के भ्रमण दल ने मुलाकात की | शाम ८ बजे भ्रमण दल ने खाना खाया | शाम ९ बजे देहरादून आई एस बी टी से दो बसो में सभी जिलो की सभी टीम दिल्ली के लिए रवाना हुए | प्रात: ४ बजे दिल्ली पहुच कर सभी दलों ने चाय का आनंद लेने के बाद तरोताजा हुए | सुबह ६ बजे इंडिया गेट के लिए रवाना हुए | सुबह ८ बजे इंडिया गेट पहुच कर सभी जिलो की टीमो ने इंडिया गेट देखा और उसके ऐतहासिक महत्त्व के बारे में जाना | इंडिया गेट को अखिल भारतीय युद्ध स्मारक भी कहा जाता है | दिल्ली के राजपथ पर स्थित ४३ मी उची विशाल दिवार है |इसका डिजाईन सर एडवर्ड लुटियन्स ने तैयार किया था | यह स्मारक पेरिस के आर्क डे ट्राई इंडिया गेट देखने के बाद डा० संतोष चमोला जी द्वारा गर्मागर्म नाश्ते का वितरण हुआ | और सभी दलों (गढ़वाल मंडल एवं कुमाऊ मंडल) ने गर्मागर्म नाश्ते का आनंद उठाया |